*क्या कोल्हुओं पर माफियाओं का गुड़ फंस गया है।*(कृन)
नगदी और तत्काल भुगतान, दूसरी फसल बोन के चक्कर मे किसान अपने गन्ने का कुछ हिस्सा कोल्हू को देते है। कोल्हू चलाने वाले अक्सर ओबीसी, दलित, मुस्लिम सम्प्रदाय, जाती, धर्म से जुड़े होते है। कई लोग मिलकर कोल्हू संचालन करते है। किसान से गन्ना क्रय कर उसे एक हफ्ते के भीतर भुगतना करने के लिए क्षेत्र के माफियाओं, दबंगो, साहूकारों से ले किसान क्रेडिट कार्ड पर 4 फीसदी (सालाना) की दर से जमीन पर पैसा उठाने वाले किसानों आदि से भी 3 से 10 फीसदी (मासिक) की ब्याज दर तक पर पैसा उठाते है।
कोल्हू पर बनी शक्कर, गेंहू पिछले कुछ सालों से 30 से 40 रुपये के बीच ही झूल रही है इसकी बड़ी खपत भी ग्रामीण अंचल में ही होती है। ये देहात की मिठाई है।
गुड़ चीनी से, कैमिकल से, सुकलाई आदि से साफ कर मसाले और बिन मसाले के बनता है।
यूपी सरकार ने एक जनपद एक उत्पाद में मुजफ्फरनगर को गुड़ के लिए ही चुना।
जिसके बाद आधुनिक कोल्हू लगा विभिन्न गुड़ शक्कर की कई अदरक, तिल, मूंगफली, चॉकलेट, स्ट्राबेरी, आजमाएन, गाजर, बादाम आदि वेरायटी बना इस लाइन में बड़े उद्यमी, शिक्षाविद, सामाजिक चेहरे, व्यापारी आदि भी प्रवेश कर चुके। हालांकि उसके बेहतर परिणाम पर कोरोना भारी पड़ गया।
वहीं गुड़ शक्कर की खुरपा पाड चाकू आदि वैरायटी देश भर में भेजी जाती है। ये मसाले का गुड़ होता है।
मुजफ्फरनगर से पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात आदि जगह गुड़ शक्कर जाता है।
मुजफ्फरनगर गुड़ मंडी एशिया की सबसे बड़ी मंडी थी। समस्त गुड़ उत्पाद यही से भाव तय कर देश विदेश जाते थे। बहती, रशीद सब कटती थी।
फिर इस लाइन में माफिया प्रवेश कर गए। आरटीओ, पुलिस को संतुष्ट करते ये लोग मंडी को नजरअंदाज कर दूसरे राज्यो में धड़ाधड़ गुड़ भेजने लगे। ये व्यापार बहुत फला फूला,
मगर लानत लगे कोरोना को ट्रांसपोर्ट की गति थमते ही अवैध व्यापार पर भी लोकडाउन में तालाबंदी हो गई।
जनपद की ही बात करे तो जो पेशेवर कोल्हू संचालक है (किसान नही), जिनके पास (पार्टनर के पास) नाम मात्र को किसान साबित होने लायक थोड़ी बहुत जमीन है। वे कोल्हू चला खुद को किसान बता तमाम रियायत लेते रहे है। उनका गुड अभी तक गुड़ माफियाओं (तस्करों) को जाता था।
लेकिन फिलहाल दूसरे राज्यो में आने जाने के रस्ते बन्द होने के चलते अब गुड नही जा रहा है।।
कोल्हू ठेकेदारो के पास भारी मात्रा में गुड स्टाक हो गया है।
यह गुड़ स्टॉक मंडी में आए बिना एक तरह से अवैध की श्रेणी में ही आएगा।